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एक बार एक चोर था उसका नाम था जग्गा चोर । चोर गांव गांव घूम कर लोगों को मूर्ख बनाता था । चोरी के इरादे से फिर से नए गांव में आया । वह पहले सबसे दोस्ती करता और खूब पैसे वाला होने का दिखावा करता । जब लोग उसके अमीर होने का राज पूछते तो वह झूठी कहानियां बनाकर उन्हें बताता कि उसे कहीं से खजाना हाथ लग गया है, जिसमें खूब सारा सोना और चांदी है । लालच में आए लोगों को वह कहता कि मैं आपको चांदी की ईट दूंगा और वह भी बहुत कम दाम पर । ऐसा कहकर जग्गा चोर लोगों को मूर्ख बना बना कर उन्हें चांदी की इंटों की जगह लोहे से बनी ईंटों पर चांदी की परत चढ़ी ईंटें बेच कर फुर्र हो जाता ।

इस बार वह स्मार्टी केशव के गांव में आया । गली के लोग उसकी अमीरी देख कर उसके झांसे में आने को तैयार होने लगे । स्मार्टी केशव की माताजी ने घर पर आकर यह बात बताई कि नया अमीर पड़ोसी चांदी की ईंटें बहुत कम दाम पर देने को तैयार है और सभी उसे लेने को बहुत उत्सुक हैं । केशव को दाल में कुछ काला लगा ।

स्मार्टी केशव अपने घर से चुंबक लेकर गया, जहां जग्गा चोर अपनी चांदी की ईंटों की दिखा कर बड़ी बड़ी बातें कर रहा था । वह सभी को ईंटें हाथ में देकर उनके वजन और चमक की प्रशंसा कर रहा था ,केशव ने एक ईंट हाथ में ली और उस पर चुंबक लगाई लेकिन यह क्या वह तो चिपक गई । वह जोर से हंसा और चिल्लाया “अरे यह तो हमें मूर्ख बना रहा है यह कोई चांदी की ईंटें नहीं है यह तो लोहा है ,मेरा चुंबक इन ईंटों पर चिपक गया है”। अपनी पोल खुलते देख जग्गा वहां से सरकने लगा लेकिन लोगों ने चोर को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया ।

पुलिस के हवाले करते ही सभी को पता चल गया कि यह तो जग्गा चोर है जो इसी तरह कई गांवों में लोगों को लूट चुका है । पुलिस ने केशव की सूझबूझ की प्रसंशा की । गांव वालों ने स्मार्टी केशव का धन्यवाद दिया कि उसके कारण वे लुटने से बच गए ।